Monday, December 1, 2014

नई दिल्ली में 4-5 दिसम्बर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय दलित महासभा और दलित सम्मान मार्च के लिए निमंत्रण

बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नेशनल कोंफेडेरेशन आॅफ दलित ओर्गनाइजेशन्स (नैक्डोर) और इसके साथी संगठनों राष्ट्रीय दलित महासभा, राष्ट्रीय दलित महिला आन्दोलन और आदिवासी अधिकार आन्दोलन, द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम चार दिसम्बर 2014 को राष्ट्रीय दलित आदिवासी अधिकार सम्मलेन और पांच दिसम्बर 2014 को दलित सम्मान मार्च और राष्ट्रीय दलित महासभा में हम आप को सादर आमंत्रित करते हैं। नैक्डोर देश के 2100 से अधिक दलित आदिवासी संगठनों का साझा मंच है, जो देश के 23 राज्यों में फैले हुए हैं। पिछले चैदह वर्षों से नैक्डोर दलित आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करता रहा है। यह किसी राजनैतिक दल से नहीं जुडा है पर सारे राजनैतिक दलों और उनके नेतृत्व में चलने वाली सरकारों को दलितों आदिवासियों के विकास के लिए और अधिक सक्रिय होने का आह्वान करता है। पांच दिसंबर विश्व में रंगभेद के विरुद्ध आन्दोलन के प्रसिद्ध नेता दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति श्री नेल्सन मंडेला की भी पुण्य तिथि है। इस महासभा के माध्यम से दलित आदिवासियों के कुछ मुख्य अधिकारों की मांग की जाएगी।
इस दौरान मंच से कुछ मुख्य विषयों पर चर्चा होगी, जिसमें पहला जमींन और जंगल पर अधिकार दूसरा निजी क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र और सरकारी बजटों में न्यायपूर्ण हिस्सा, तीसरा जरुरी सेवाएँ - पोषण और खाद्य सुरक्षा, जल और स्वच्छता का अधिकार, चैथा दलित आदिवासी युवाओं की चिंताएं-शिक्षा, रोजगार, उद्यमशीलता, पांचवां मनरेगा और मजदूर और दलित आदिवासी महिलाएं - अत्याचारों के प्रतिरोध से विकास के लिए सशक्तीकरण की ओर इस सभी पर मुख्यता से प्रकाश डाला जाएगा। साथ ही 4 दिसम्बर 2014 को राष्ट्रीय दलित महासभा की ओर से दलित आदिवासी घोषण पत्र भी जारी किया जाएगा।
आशा है कि आप देश के दलित आदिवासी समाज के इस संघर्ष में आप भागीदार होंगे।




Saturday, July 26, 2014


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Wednesday, August 8, 2012

गरीबों को रोजगार और रोटी नहीं, मिलेगा मोबाइल


  गरीबों को रोजगार और रोटी नहीं, मिलेगा मोबाइल
गरीबों के लिए सरकार की तरफ से 15 अगस्त को एक नए तोहफे का एलान किया जाएगा। इस फरमान में सरकार 60 लाख बीपीएल परिवारों को मोबाइल बांटेगी साथ में 200 मिनट का टॉक टाइम भी दिया जाएगा।
इस पूरे कार्यक्रम में सरकार का 7 हजार करोड़ रूपये खर्च होगा। सरकार की तरफ से तो यह तोहफा लोगों को खुश करने के लिए लाया गया है, लेकिन इस फरमान ने गरीबों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब हमें सरकार से यह सवाल करना चाहिए कि, यदि मोबाइल से ही पेट भरता है तो एक मोबाइल क्यों, दिन में दो टाइम गरीबों को मोबाइल दिया जाए।
साथ में 24*7 बिजली की व्यवस्था भी की जाए।हमारी सरकार को इतना भी नहीं पता कि मोबाइल के लिए लोगों को जेब की भी आवश्यकता होगी, या तो गरीब उसे अपने गमछे में बांधे या पैजामे के नाड़े में। इस बात की चिंता देश के 60 लाख बीपीएल परिवारों को है। बीपीएल परिवारों का कहना है कि, यदि सरकार हमें मोबाइल दे रही है तो हर माह रिचार्ज के लिए कुछ रूपये भी दे दिया करे।
बहरहाल, यह सरकार की आने वाले चुनावों के लिए की जा रही तैयारियों में से एक है, हमारी सरकार अब देश को हाइटेक करने के विचार में है, शायद सरकार अपने चुनावी प्रचार को बढ़ाने और आसान करने के लिए यह कार्य कर रही है।

Sunday, July 15, 2012

लो आज जिन्दगी को फिर मोड़ मिल गया

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लो आज जिन्दगी को फिर मोड़ मिल गया
 हम को हम जैसा ही कोई और मिल गया।
 दोनों ही नादान है दोनों ही न समझ,
 फिर भी उम्मीदों को अब एक छोर मिल गया।
 खुल गए हैं पंख उड़ानों के अब मेरे,
 दुखों की फहरिस्त को पुणविराम मिल गया।
 हर तरफ अपनों की मार ही झेली थी हम ने,
 अब तो अपनों का ही एक अरमान मिल गया।
 लो आज जिन्दगी को फिर मोड़ मिल गया
 हम को हम जैसा ही कोई और मिल गया।

Friday, June 8, 2012

कितना रोऊं


न जाने अब कब रुकेगी
ये आंसुओं  कि धारा
कब रोऊं कैसे रोऊं
किस पर रोऊं
खुद पर या खुद की किस्मत पर
चाहत है कि आज इतना रोऊं
की उसमें तेरी सारी यादों को खोऊं
पर ये कहना तो बहुत आसान है
और अमल करना उतना ही मुश्किल
क्यों नहीं दिखते मेरे ये आंसू
उनको जो मेरे लिए सबसे अनमोल हंै
जो मेरे सब से करीब हैं
जो हमेशा मेरे पास साए की तरह रहते हैं
जो मुझे इस धरती पर लाएं हैं
क्या दर्द को किसी रूप की जरूरत है
क्यों भूल गई है मेरी मां
जब बिन बोले उसने मुझे आंचल में छुपाया था
जब बिन बोले मुझे एक निवाला खिलाया था
जब बिन बोले मेरी ही चोट पर मरहम लगाया था
या फिर जब पापा की डांट के बाद
अपने पास बुलाया था
तब तो दर्द को किसी भी रूप की जरूरत नहीं थी

पिता.................



पिता जीवन है सम्बल है शाक्ति है।
पिता शाक्ति के निर्माण की अभिव्यक्ति है।
पिता अंगुलि पकड़े बच्चे का सहारा है।
पिता कभी खट्टा तो कभी खारा है।
पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशासन है।
पिता धौंस से चलने वाला शासन है।
पिता रोटी है कपड़ा है मकान है।
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है।
पिता अप्रदर्शित अनन्त प्यार है।
पिता है तो बच्चों को इन्तजार है।
पिता से ही बच्चों के ढेÞर सारे सपने हैं।
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने हंै।
पिता से मां की बिंदिया और सुहाग है।
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आशक्ति है।
पिता अपनी इच्छाओं का अनन्त और परिवार की पूर्ति है।
पिता रक्त में दिए हुए संस्कारों की मूर्ति है।
पिता एक जीवन को जीवन का दान है।
पिता सुरक्षा है अगर सर पर हाथ है।
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है।
तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो ।
पिता का अपमान नहीं उन पर अभिमान करो।
क्योंकि मां बाप की कमी को कोई बांट नहीं सकता।
ईश्वर भी इन के आशीषों को काट नहीं सकता।
विश्व में किसी भी देवी देवता का स्थान दूजा है।
मां बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।
विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्रा व्यर्थ है।
यदि बेटे के होते मां बाप असमर्थ।
वो खुश नसीब होते हैं मां बाप जिनके साथ होते है।
क्योंकि मां बाप के आशीषों के हाथ हजारों के हाथ होते हैं।

Thursday, June 7, 2012

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी
लोग बेवजहा उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे के तुम इतनी परेशां क्यों हो
उंगलियां उठेंगी सुखे हुए बालों की तरफ
एक नजर देखेेंगे गुजरे हुए सालों की तरफ
चूड़ियों पर भी केई तंज किए जाएंगे
कांपते हुए हाथों पर भी फिकरे कसे जाएंगे
लोग जालिम हैं हर एक बात का ताना देंगे
बातों-बातों में मेरा जिर्क भी ले आएंगे
उन कि बातों का जरा सा भी असर मत लेना
वरन चहरे के तासुर से समझ जाएंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी
-जगजीत सिंह