नहीं दिखता है आसमां में चांद आजकल
खो गर्इं हैं हमारी शांम आजकल
दौड़ भाग की इस दुनिया में
हर रोज मरता है गरीब आजकल
बन्द रखी हूं दरवाजा नहीं खोला करती
तन्हा रहती हूं अपनों से भी नहीं बोला करती
अन्जान सी दिखती हूं अब अपने ही घर में
खो गई हूं भटकती रहती हूं दिन रात आजकल
सो जाती हूं और सपने भी देखती हूं
पर खो जाते हैं मेरे सपने भी आजकल
उम्मीद का दामन ना छोड़िएगा...
ReplyDeleteक्यूंकि..
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती..
वक्त है गुजर जाएगा, आज कल की ही तो बात है फिर नया सवेरा आएगा............
ReplyDeleteउम्मीद है उस सवेरे के सूरज से जगमगा उठेगीं आप........
रखिए भगवान पर भरोसा, हर परिस्तिथी सही हो जाएगी...........