Wednesday, February 29, 2012
विश्वास
अगर मैं तुम्हारी हूं
तो मुझ पर विश्वास करो की
मैं सिर्फ तुम्हारी हूं
मैं कोई हवा नहीं हूं जो
किसी की भी सांस बनजाऊ।
न ही कोई उपन्यास हूं जो
हर किसी को लुभा जाऊं।
मैं सिर्फ और सिर्फ एक हूं
अगर में बेटी हूं तो सिर्फ अपने
मां बाप की
अगर में मां हूं तो सिर्फ अपने बच्चों की
और अगर में पत्नी हूं
तो सिर्फ अपने परमेश्वर की
अगर मुझ पर विश्वास करोगे तो मुझको पाओगे
नहीं तो मुझको इस संसार से खोता महसूस कर पाओगे।
Monday, February 27, 2012
एक अनिश्चित बात कि मैं जिंदा हूं .....
एक अनिश्चित बात कि मैं जिंदा हूं .....
अबकी बारी मेंने कलम पकड़ी तो
ख्याल आया कि कुछ ऐसा लिखा
जाए जो अनिश्चित हो
तो एक बात याद आई
जो बात सबसे अनिश्चित है
कि
मैं अभी जिन्दा हूं
पर क्या मैं आगे भी जिन्दा रह पाऊंगी
क्या मैं इससे पहले जिन्दा थी
जब एक बूढी मां को मेरे सामने
उसका जवान बेटा घर से निकाल रहा था
या फिर तब...
जब स्कूल जाती एक लड़की का दुपट्टा
मंनचलों ने खींच लिया था
या फिर तब...
जब मेरे ही किसी रिश्तेदार ने
एक भारत की बेटी को
भारत मां की गोद में आने से पहले
मां की कोख में ही मार दिया था
या तब...
जब बिना गलती के भी
मेरे ही घर में नौकरों को फटकारा जाता था
क्योंकि सबको व्यर्थ में ही अपना गुस्सा
उतारना होता था
शायद नहीं
तब मैं जिन्दा तो थी पर मरे होने का आभास कर रही थी
पर अगर आज मैं यह सब लिख रही हूं तो
यह इसका प्रमाण है कि मैं अभी जिन्दा हूं
पर क्या मैं आगे ज्यादा दिन जिन्दा रह पाऊंगी
अंत में यही सवाल मुझे झकझोर देता है।
Tuesday, February 21, 2012
आजकल
नहीं दिखता है आसमां में चांद आजकल
खो गर्इं हैं हमारी शांम आजकल
दौड़ भाग की इस दुनिया में
हर रोज मरता है गरीब आजकल
बन्द रखी हूं दरवाजा नहीं खोला करती
तन्हा रहती हूं अपनों से भी नहीं बोला करती
अन्जान सी दिखती हूं अब अपने ही घर में
खो गई हूं भटकती रहती हूं दिन रात आजकल
सो जाती हूं और सपने भी देखती हूं
पर खो जाते हैं मेरे सपने भी आजकल
खो गर्इं हैं हमारी शांम आजकल
दौड़ भाग की इस दुनिया में
हर रोज मरता है गरीब आजकल
बन्द रखी हूं दरवाजा नहीं खोला करती
तन्हा रहती हूं अपनों से भी नहीं बोला करती
अन्जान सी दिखती हूं अब अपने ही घर में
खो गई हूं भटकती रहती हूं दिन रात आजकल
सो जाती हूं और सपने भी देखती हूं
पर खो जाते हैं मेरे सपने भी आजकल
Friday, February 17, 2012
है उम्मीद की एक दिन वो मिलेगी
है उम्मीद की एक दिन वो मिलेगी
मेरी लगन और महेनत से ही मिलेगी
परीक्षा ले रहीं हैं परिस्थितियां मेरी
ले लें जी भरकर ले लें
पर मुझे है उम्मीद की एक दिन जरूर मिलेगी,
होंगे वो सपने मेरे भी पूरे
जिन्हें देखा हैं मेंने अपने
प्यार और परिवार के साथ
जिस दिन वो मुझे मिलेगी,
उडुंगी में भी आसमां के सातवें स्तर पर
उडंते पंछियों की तरह
एक दिन वो जरूर मिलेगी वो,
तब जी लुंगी अधुरी जिंदगी को
पूरी चाह के साथ
समेट लुंगी दुनिया को पूरे
उल्लास के साथ
जिस दिन वो मुझे भाग और
सच्चाई के साथ
है उम्मीद की एक दिन वो आएगा
जब मुझको भी नौकरी मिलेगीण्
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